भारतीय शास्त्र के मुताबिक आज का दिन बेहद ही खास है, आज विनायकी चतुर्थी व्रत माघ माह के ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आज शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी | आज गणेशोत्सव के दौरान भक्त घर में गणपति की स्थापना करेंगे, और यह चतुर्थी वाला दिन भगवान गणेश को ही समर्पित करते हैं | जानिए इस व्रत की विशेषता-
शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहां जाता है, वहीं कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को 'वरद चतुर्थी' भी कहां जाता हैं | क्योंकि इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि और आर्थिक सम्पनता के साथ-साथ ज्ञान और बुद्धि की भी प्राप्ति होती हैं | इसलिए इस दिन को विशेष माना जाता है ताकि वे गणेश भगवान को प्रसन्न करके अपने घर में सुख-शांति बनाये रखे |
पूजा के नियम
● इस दिन सुबह तड़के उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान करें और लाल रंग के वस्त्र धारण करें |
● शास्त्र के मुताबिक दोपहर पूजन के समय अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से बनी गणेश प्रतिमा घर में स्थापित करें |
● वहीं अपने घर में विराजमान गणेश प्रतिमा-मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाए |
● शास्त्र विधा के अनुसार गणेश भगवान का मंत्र- 'ॐ गं गणपतयै नम:' बोलते हुए 21 दूर्वा चढ़ाएं |
● वहीं आज के दिन बप्पा के बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाए, इनमें से 5 लड्डू ब्राह्मण को दान करें और 5 लड्डुओं को भगवान गणेश के चरणों में रखे | बाकि लड्डुओं को प्रसाद के रूप में लोगों में वितरित-बांट दें |
विनायक चतुर्थी व्रत कथा
मंदिर के पुजारी वह शास्त्रियों के मुताबिक एक दिन स्नान करने के लिए भगवान शंकर कैलाश पर्वत से भोगावती जगह पर गए थे, उनके जाने के बाद मां पार्वती ने घर में स्नान करते समय अपने शरीर के मेल से एक पुतला बनाया था | इसके बाद उस पुतले को मां पार्वती ने सतीव कर उसका नाम गणेश रखा था, मां पार्वती ने गणेश से मुद्गर लेकर द्वार पर पहरा देने के लिए कहां पार्वती जी ने गणेश से कहां जब तक में स्नान करके बाहर नहीं आ जाऊ किसी को भी घर के भीतर मत आने देना |
भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिव वापस घर आये और वे घर के अंदर जाने लगे, लेकिन बाल गणेश ने उन्हें रोक लिया और उन्हें अंदर नहीं जाने दिया | इस बात को शिवजी ने अपना अपमान समझा और भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया और घर के अंदर चले गए | जब शिवजी अंदर पहुंचे तो वे बहुत क्रोधित थे वहीं माता पार्वती ने सोचा कि भोजन के विलम्भ के कारण महादेव क्रुद्ध है, इसलिए उन्होंने तुरंत 2 थालियों में भोजन परोसा और भगवान शिव को भोजन ग्रहण करने का आग्रह किया |
जब माता पार्वती ने दूसरी थाली लगाई तो भगवान शिव ने पूछा 'ये दूसरी थाली किस के लिए लगाई है' ? इस पर मां पार्वती ने कहां कि पुत्र गणेश के लिए, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा हैं | यह बात सुनकर भगवान शिव चौक गए और उन्होंने बताया कि 'जो बालक बाहर पहरा दे रहा था, मैंने तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया हैं | यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुखी हुई और अपने पुत्र के लिए विलाप करने लगी, उन्होंने भगवान शिव से पुत्र को दोबारा जीवित करने का आग्रह किया | तब मां पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर उस बच्चे के धड़ से जोड़ दिया, जब मां पार्वती ने पुत्र को पुनः जीवित देखकर प्रसन्न हो गई |